तुलसी
- तुलसी में विटामिन A, विटामिन K, विटामिन C, मैग्नीशियम, आयरन, पोटैशियम और कैल्सियम प्रचुर मात्रा में होता है।
- तुलसी मैग्नीशियम का बहुत अच्छा स्रोत है, जो हमारे मांसपेशियों और रक्त वाहिनियों को आराम प्रदान कर हृदय स्वास्थ्य को सुनिश्चित करता है। जिससे रक्त प्रवाह सुनियंत्रित होता है और हृदय की असमान्य गति के खतरे की रोकथाम होती है और हृदय के मांसपेशियां या रक्त वाहिनियों को मजबूती मिलती है।
- तुलसी के पत्ते गजब के फाइटोन्यूट्रियेन्ट एवं एण्टी आक्सीडेन्ट से सम्पूर्ण रूप से भरपूर होते हैं। इनमें से कुछ जैसे कि ओरियेन्टिंग और वाइसनिंग (फ्लोबोनाइटस परिवार में सम्मिलित) कोशिकाओं के बनावट की रक्षा करते हुए पाये गये हैं। साथ-साथ रेडियेशन और आक्सीजन आधारित क्षति से भी क्रोमोजोन को बचाते हैं।
- यूजिनॉल (तुलसी का एक वोलाटाइल आयल) शरीर में एंजाइम, साइक्लोआक्सीजिनेर (COX) को रोकने में मदद करता है। यह आवश्यक है क्योंकि सीओएक्स वही एंजाइम है जो एन्टीइन्फलेमेटरी दवाइयां जैसे कि एस्प्रीन और आइबोप्रोफिन बनायी जाती है इनको रोकने के लिए। इस तरह तुलसी एक प्राकृतिक एन्टीइन्फलेमेटरी भी है।
- तुलसी के पत्ते सर्दी और खांसी की रोकथाम में कारगर हैं। ताजे तुलसी के पत्तों को चबाने से अथवा सूखे तुलसी के पत्ते को चाय में उबाल के पीने से सर्दी, जुकाम और बुखार से राहत मिलती है। यह खांसी की दवाईयों में भी सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और ब्रोन्काइटिस और अस्थमा में म्यूकस के प्रवाह को बनाये रखने में मदद करता है।
तुलसी को इस्तेमाल करने के सरल तरीके
- बेर टमाटर और कैपर्स के टुकड़ों के साथ एंजिल हियर पास्ता को मिलायें, थोड़ा पिघले हुए मक्खन और ताजे नींबू के रस को पास्ता पर छिड़के। तुलसी के पत्तों को इसमें मिलायें, नमक और कालीमिर्च स्वाद अनुसार मिला लें।
- थोड़े से सेब के रस को टोमेटो सूप में मिलाते हुए ताजे कटे हुए तुलसी के पत्तों को सूप में डालें। इसमें नमक और एक चुटकी मिर्च डालकर इसका स्वाद बढ़ायें।
धनिया (सिलेन्ट्रो)
- ताजे धनिये महत्वपूर्ण विटामिन जैसे कि A, C C और थोड़ा विटामिन B से यह भरपूर होते हैं। विटामिन A की रोज की खपत का 225 प्रतिशत 100 ग्राम धनिया में पाया जाता है। यह अन्य पोषक तत्वों से भी अच्छी मात्रा में भरपूर होती है जैसे कि पोटैशियम, कैल्सियम, मैंगनीज, आयरन और मैग्नीसियम।
- धनिया ओमेगा थ्री और ओमेगा 6, फैटी ऐसिट के अच्छा स्रोत है। ओमेगा थ्री फैटी ऐसिड शरीर के विभिन्न एन्टी इन्फ्लमेट्री, सन्देशवाहक माल्यूक्यूल्स को बनाने के जिम्मेवार हैं। यह अन्य तत्व जैसे पोटेशियम, कैल्सियम, मैंगनीज, आयरन और मैग्नीशियम के अच्छा स्रोत हैं।
- धनिया एक ऐसा कम पाया जाने वाला जड़ी बूटी है जो एक भारी डिटाक्स ऐजेन्ट के रूप में, मरक्यूरी, एल्यूमूनियम, लेड आदि की विरोध में इस्तेमाल किया जाता है। एक साफ छोटा बॉटल में धनिये का गाढ़ रस डालकर उसमें क्लोरेला पाउडर मिला दें।
- इस रस को यदि रोजाना लिया जाये तो यह हमारे अन्दर के इन्सूलिन के स्राव को बढ़ाते हुए ब्लड शुगर को कम करता है।
- धनिये में एन्टी आक्सीडेन्ट, फाइटो न्यूट्रियेन्ट, खनिज और विटामिन पाये जाते हैं जो हमारे शरीर के सम्पूर्ण प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हुए संक्रमण होने से बचाता है।
धनिये के उपयोग के सरल तरीके
- एक बड़े खीरे का टुकड़ा करें और उसमें टमाटर के टुकड़े मिलायें, साथ में गरम सॉस, नमक, नींबू का रस और ताजे कटे हुए धनिये मिलाकर एक स्वादिस्ट सालसा तैयार करें।
- धनियें के टुकड़े कर चावल में मिलायें, थोड़ा सा नारियल तेल मिलाकर उसमें ताजे नींबू के रस को डालें।
पुदीना
- पुदीने के पत्ते एक शक्तिशाली एन्टीऔक्सीडेन्ट हैं जो आवश्यक विटामिन जैसे, ए बी6 सी, इ, के, बीटाकैरोटीन फोलेड और राइबोफ्लेमिन के रूप में पाये जाते हैं।
- इसमें कैल्सियम, आयरन, पोटेशियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज आदि कई फायदेमन्द तत्व होते हैं।
- पुदीने पत्ते में डीकन्सेटेन्ड गुण होते हैं। इन पत्तों की खुश्बू श्वास नली के अवरोध खोलने में मददगार है। अस्थमा रोगी के लिए पुदीना एक दवाई के रूप में काम करता है। और श्वास लेने में आराम देता है। यही एक वजह है जो इसे इन्हेलर में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है।
- पुदीना सिर्फ मुख की बदबू को ठीक ही नहीं करता बल्कि बैक्टीरिया से लड़कर मुख की कैविटी रोकता है। यही एक वजह है जो यह टूथपेस्ट, माउथ वाश और टंग स्प्रे आदि चीजों में इस्तेमाल किया जाता है। मध्य युग से ही सूखे पुदीने के पत्ते का पाउडर दांतो को सफेद करने में इस्तेमाल किया जाता है।
पुदीने के उयोग का सरल तरीका
- एक स्फ्रूर्तिदायक पेय बनाने के लिए ठण्डे पानी में नींबू डालकर उसमें खूब सारे पुदीने के पत्ते डाले।
- पुदीने पत्ते को काटकर खीरे और टमाटर के सलाद में भी मिला सकते हैं।
अजवाइन
- किसी भी अन्य जड़ी-बूटियों में से अजवाइन के एण्टी ऑक्सीडेन्ट क्षमता तीन से बीस गुना ज्यादा, यूएसडी वालों ने बताया है। ब्लू बेरी से भी चार गुना ज्यादा एण्टी ऑक्सीडेन्ट शक्ति अजवाइन में है, नारंगी से12 गुना ज्यादा और सेब से 42 गुना ज्यादा ।
- अजवाइन में फाइबर, आयरन, मैंगनीज, विटामिन इ, कैल्सियम, ओमेगा फैटी ऐसिड, पोटेशियम और ट्रिक्टोफैन पाये जाते हैं।
- अजवाइन में स्वास्थ्य सम्बन्धी आवश्यक तेल भी पाये जाते हैं। जैसे कि कार्बार्क्ला, थाइमोल, लिमोनिनी, पाइनिनी ओसीमिनी, और कारियोफिलीनी आदि। इसके पौधे के तने और पत्ते में शक्तिशाली एन्टीसेप्टिक, एन्टी स्पाजमोटिक, एक्स्पेक्टोरेन्ट, स्टयूमिलेन्ट और हल्की टानिक के गुण हैं। इसके ताजे पत्ते खाने से सर्दी, जुकाम, हल्का बुखार, अपच, सिरदर्द और पेट की गड़बड़ी ठीक होती है।
- दर्द और सूजन को कम करने के लिए अजवाइन के पत्ते उबटन के रूप में उपयोग कर सकते हैं।
अजवाइन के उयोग का सरल तरीका
- आपके मन पसन्द पास्ता अथवा पीजा के ऊपर ताजे अजवाइन छिड़क कर खा सकते हैं।
- ग्रीक सलाद के स्वाद को बढ़ाने के लिए भी ताजे अजवाइन के पत्ते उस पर डाल सकते हैं।
पार्सली
- ताजे पार्सली में कई महत्वपूर्ण विटामिन जैसे कि विटामिन B12, विटामिन C, K, A, आदि भरपूर पाये जाते हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि पार्सली आपके प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है और नाड़ी तंत्र को ठीक रखता है।
- यह आयरन और फोलेड के अच्छे स्रोत हैं।
- पार्सली के दैनिक उपयोग से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। इस जड़ी-बूटी में पाये जाने वाले फोलिक एसिड आपके दिल के लिए टानिक का काम करता है।
- यदि जोड़ों के दर्द से निजाद पाना हो तो पार्सली का रोजाना उपयोग करें। यह इसलिए कि इस बूटी में एन्टीइन्फलमेटरी गुण पाये जाते हैं।
- यह एक कीमो प्रोटेक्टिव खाद्य है क्योंकि इसमें बुलाटाइल आयल क्रियाशील रहते हैं, विशेषत: यह वह खाद्य है जो विशेष प्रकार के कार्सीनेजेन्स (जैसे कि बेन्जोपाइरिन, जो सिगरेट के धुवें तथा कोयले के धुवें में पाये जाते हैं) को निष्क्रीय करता है।
पार्सली उपयोग के सरल तरीके
- पार्सली को छोटा-छोटा काट लें, इसे पास्ता सलाद में मिलाकर ताजे नींबू के रस और आलिव आयल डाले। ताजी और स्वाद भरे पास्ता सलाद बनाने के लिए इसमें नमक और कालीमिर्च मिलायें।
- इसे अच्छी तरह से काटें और पके हुए मसूर की दाल के कटोरे में मिला दें। कुछ ताजे टमाटर, खीरा, आलिव आयल, नींबू, नमक और कालीमिर्च मिलाकर इसे एक स्वास्थ्यवर्धक मसूर की दाल का शाकाहारी सलाद बना लें।
रोजमेरी
- वैज्ञानिकों को यह पता चला कि रोजमेरी में करनोसिक एसिड नाम का जो तत्व है जो मस्तिष्क के फ्री रेडिकल डैमेज के साथ लड़ने में मदद करता है।
- यह वनस्पति बी काम्पलेक्स के ग्रुप की विटामिन से भरपूर है, जैसे कि फोलिक एसिड, पैन्टानथेनिक एसिड, पेरीडाक्सिन और रिबोफलेबिन
- रोजमेरी में विटामिन ए की भी बहुत अधिक मात्रा होती है। 100 ग्राम में 2924 IU होता है। 97% आरडीए है। इसकी रोज कुछ पत्तियां खाने से यह विटामिन प्रचुर मात्रा में शरीर को मिलता रहता है। विटामिन ए में एण्टी आक्सीडेन्ट गुण बहुतायत में होते हैं जो कि नेत्र ज्योति के लिए बहुत आवश्यक है। यह शरीर में स्वस्थ म्यूकस के तत्वों के लिए और त्वचा के लिए भी आवश्यक है। विटामिन ए से भरपूर प्राकृतिक पदार्थ सेवन करने से शरीर के फेफड़े और मुंह का कैन्सर से बचाव होता है।
- रोजमेरी के ताजे पत्ते में विटामिन सी की भी प्रचुर मात्रा होती है, 100 पत्तों में करीब 22 मिलीग्राम, लगभग 37% आरडीए होता है। शरीर में कोलेन सेन्थसिस के लिए इस विटामिन की आवश्यकता होती है। विटामिन सी की प्रचुर मात्रा वाले भोजन का सेवन करने से शरीर का स्कर्वी रोग से बचाव होता है, शरीर की रोग प्रतिकारक क्षमता को बढ़ाकर शरीर में इन्फेक्शन करने वाले तत्वों को कम करता है, और शरीर में उत्पन्न होने वाले प्रो इन्फलमेट्री प्री रेडिकल्स जैसे घातक तत्वों का सफाया करता है।
- यह वनस्पति आयरन का भी बहुत अच्छा स्रोत है। ब्लड के रेड ब्लड सेल्स में हीमोग्लोबिन में आयरन एक घटक है जो खून की आक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता को निश्चित करता है।
रोजमैरी का इस्तेमाल करने के सरल तरीके
- मक्खन को गैस पर पिघलाइये उसमें थोड़े से ताजे रोजमेरी के पत्ते और नमक मिलाइये, धीमी आंच पर पकाते हुए रोजमेरी का अर्क उसमें घुलने दें उसे उबले हुए आलुओं पर लगाकर खाइये।
- टमाटर के साथ रोजमेरी के पत्ते बहुत अच्छे लगते हैं। अपने मनपसंद पास्ता और पीजा के ऊपर इसे डालकर खा सकते हैं।
अजवाइन के फूल
- अजवाईन के फूल में बहुत सारे फलेवोनाइड, फेनोलिक एण्टी ऑक्सीडेन्ट होते हैं जैसे कि जिया-एक्सनाथिन, पिजेनिंग, नारिनजेनिन, ल्यूटोलिन और हाइमोनिन। सभी वनस्पतियों में सबसे अधिक मात्रा में एण्टी आक्सीडेन्ट अजवाइन के ताजे फूलों में होता है।
- यह वनस्पति बहुत सारे महत्वपूर्ण विटामिन का भी बहुत अच्छा स्रोत है, जैसे कि बी काम्पलेक्स विटामिन, बिटाकेरोटीन, विटामिन ए, के, ई, सी और फोलिक एसिड।
- इसके पत्ते पोटेशियम का सर्वोत्तम भण्डार है। हमारे शरीर के तरल तत्वों और सेल्स का पोटेशियम एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जो कि हमारे हृदय की गति और रक्त दबाव को नियंत्रित करता है।
- अजवाइन के फूल में काफी मात्रा में विटामिन बी6 होता है, लगभग 27% विटामिन बी6 रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाले अजवाइन से प्राप्त होता है। बी6 हमारे दिमाग में गाबा (दिमाग में स्थित लाभकारी न्यूरोट्रान्समीटर्स) की लेबल को बढ़ाता है। जिसका काम तनाव दूर करना है।
- इस वनस्पति के द्वारा गरारे करने और मुंह की सफाई करने की अच्छी औषधि बनाई जाती है जोकि दांतों की खराबी में काम आती है। यह लैरिन जैटिस की रोकधाम के लिए बहुत अधिक उपयोगी साबित होती है, मुंह में होने वाली सड़न, गले की खरास, मुंह के छाले, टांसिल्स, सांस में दुर्गंध आदि में भी यह बहुत असरकारक है।
- अजवाइन के फूलों में थाइमोल की मात्रा होने के कारण उसमें एण्टीसेप्टिक तत्व होते हैं। कीड़े मकौड़ो के काटने पर इसको लेप की तरह इस्तेमाल किया जाता है, इसका इस्तेमाल घाव और सूजन पर भी किया जा सकता है।
अजवाइन के फूलों का इस्तेमाल करने के आसान तरीके
- तले हुए टोफू बनाते समय उस पर धनिया के पत्ते डालने के बाद उस नमक और काली मिर्च का छिड़का जा सकता है।
- रोजमेरी और अजवाइन के फूलों को एक साथ पीसें, गरम मक्खन के घोल को ब्रेड पर लगायें तथा इस मिक्सचर को ब्रेड पर छिड़क कर बेक कर लें।