अवलोकन
सदियों से भगवान के बारे में वाद-विवाद चलता आ रहा है। कुछ लोग भगवान, के बारे में सभी मान्यताओं को नकार देते हैं। कुछ लोग मरते दम तक भगवान में श्रृद्धा रखते हैं और कभी-कभी कुछ लोग ऐसी भी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं, "क्या फर्क पड़ता है"? इन्श्योरेन्स कम्पनियाँ आज भी आपदायें, मतभेद, लड़ाईयाँ, गाली-गलौज आदि को ‘एक्ट ऑफ गॉड' (परमात्मा द्वारा उत्पन्न किया गया संकट) मानते हैं। लेकिन क्या सचमुच मनुष्य निर्मित यह घटनायें और मनुष्य की गलतियों के लिए भगवान को जिम्मेदार माना जा सकता है?
जीवन में जो भी आलौकिक, दिव्य और अकल्पित घटनाएं घटती हैं, उनके बारे में, आप के मन में, अब तक तो कुछ ज़रूर कुछ मान्यताएँ बन गई होंगी | वास्तविकता में चाहे कोई कुछ भी करे या कहे, यह हम पर निर्भर है कि हम भगवान किस रूप में स्वीकार करें या फिर उस के अस्तित्व को ही नकार दें |
यह सत्र दिव्य सत्ता पर ध्यान केंद्रित करता है | यहाँ विधाता को मानव खेल से पूर्णतः पृथक और श्रेष्ठ माना गया है, जिससे कि जिज्ञासु ईश्वरीय खण्ड के बारे में एक नया दृष्टिकोण अपना सकें|
दिलेर एवं निष्पक्ष होने से आप का मन, सुगमता और स्पष्टता से, विभिन्न विकल्पों को परख सकता है|
आपके प्रयास के लिए निम्नलिखित प्रयोगों का संकलन दिया गया है |
आप चाहें तो हर प्रयोग के उपरान्त आप अपने विचारों, दृष्टिकोण एवं भावनाओं की टिप्पणी कर सकते हैं|प्रयोग
जीवन के सूत्र
मन मनाभव यह संस्कृत मंत्र हमारे मन को अनुशासित करता है। मनमनाभव अर्थात अपने मन को एक परम सत्ता, एक परमात्मा पर एकाग्र करें। यह ज्ञान और याद का सार है और जीवन का सच्चा अमृत है। मनमनाभव यह विधि है परमात्मा को पहचानने की, उस आत्मा का बनने की और उस आत्मा से प्यार करने की।
शान्ति के उन क्षणों में केवल आप और वो परम सत्ता दोनों साथ हों। शान्ति में आत्मा-परमात्मा के साथ सम्बन्ध जोड़ती है और आध्यात्मिक शक्ति को प्राप्त करती हैं। प्रकाश और शक्ति की वह तरंगें उस परम सत्ता से सीधे आप आत्मा में पहुँचती हैं और आत्मा की बैटरी पुन: चार्ज होती है।
बहुकाल से एकत्रित हो रही पवित्रता की शक्ति विश्व को बल और सहारा प्रदान करती है| शांति की शक्ति द्वारा आप पवित्रता का संचय करते हैं |
From The Story of Immortality by Mohini Panjabi, BKIS Publications, 2008