भगवान किसी भी लिंग से परे अथवा वास्तव में पुरुष स्त्री दोनों एक ही है। इसलिए कोई सर्वनाम उस पर सटीक नहीं बैठता। उसके लिए उसका और उसकी दोनों कहा जा सकता है। लेकिन अगर आप इस आत्मा को माता या पिता के रूप में महसूस करना चाहते हो तो बिल्कुल उन सर्वनामों को अपने राजयोग ध्यान के दौरान इस्तेमाल करें, क्योंकि वे आपके विचारों से मेल खाते होंगे। उस दिव्य सत्ता के बारे के सम्बन्ध में आपका अनुभव आपकी निजी अनुभूति है।
Try this meditation on the gender-free Supreme